Wednesday, March 30, 2011

-जिले के स्कूलों में नौनिहाल बीमार-

-कैंसर, टीबी, किडनी संबंधी बीमारियों से ग्रस्त है बच्चें-
-स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ३४८ स्कूलों में जांचा ४८ हजार ७६ बच्चों का स्वास्थ्य-
-सरकारी स्कूलों में ५० प्रतिशत से ज्यादा बच्चें बीमार-
-परमेश त्यागी-
जगाधरी। जिले के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले २४ हजार ३८९ नौनिहाल किसी न किसी  भयंकर बीमारी से ग्रस्त है। जिसमें कैंसर, किडनी, टीबी, दिल संबंधी बीमारी, डाइबटीज, खून की कमी, त्वचा संबंधी रोग इत्यादि भयंकर बीमारियां शामिल है। यह खुलासा स्वाथ्य विभाग की टीम द्वारा जिले के ३४८ स्कूलों में ४८  हजार ७६ बच्चों का स्वास्थ्य जांचने के बाद हुआ है। उपरोक्त आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है। अगर इसमें प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को शामिल कर लिया जाए, तो यह आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता है।
जिले के ३४८ सरकारी स्कूलों में नौनिहालों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर्स द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। जांच के दौरान विभाग की टीम को चौंकाने वाले तथ्य मिलेें। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चें कैंसर, किडनी, टीबी, दिल संबंधी बीमारी, खून की कमी, दांतों संबंधी बीमारियों से ग्रस्त है। जो कि ठीक नहीं है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सही प्रकार से खान-पान होने की वजह से नौनिहालों में खून की कमी हो सकती है। लेकिन बचपन में कैंसर व किडनी संबंधी बीमारियां होना चिंता का विषय है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जांच के दौरान ११ हजार १३५ बच्चों में खून की कमी पाई गई। जिसमें से २५९ बच्चें ऐसे थे,जिनमें हिमोग्लोबिन की मात्रा सात ग्राम से भी कम थी। जबकि पांच हजार ८२ में यह मात्रा सात से नौ के बीच तथा पांच हजार ६१८ में नौ से ११ के बीच थी।
बदलता खान-पान दे रहा है बीमारियों को न्यौता-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक दिन प्रतिदिन बदल रहा खान-पान बीमारियों का न्यौता दे रहा है। बच्चों के खाने में पौषक तत्वों का होना बेहद जरुरी है। लेकिन आज-कल नौनिहाल चाइनिज फूड, जंच फूड पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जिस कारण उन्हें उचित मात्रा में पौषक तत्व नहीं मिल पाते, इस वजह से उनमें बीमारियां बढ़ रही है। अगर अभिभावक समय रहते इस ओर ध्यान नहीं देंगे, तो उनकी बीमारियां भयंकर रूप अख्तियार कर सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. विजय दहिया ने बताया कि एक से तीन साल के लडक़े को हर रोज १२८७ किलो कैलोरी तथा लडक़ी को ११९३ किलो कैलोरी की जरुरत होती है। जबकि चार से छह साल लडक़े को १७५२ तथा लडक़ी को १६३०, सात से नौ साल के लडक़े को  २०७५ तथा लडक़ी को १८३३, १० से १२ साल लडक़े को २१९४ तथा लडक़ी को १९६५, १३ से १५ साल लडक़े को २४४७ तथा लडक़ी को २०५६, १६ से १८ साल के लडक़े को २६४२ तथा लडक़ी को २०६४ किलो कैलोरी की जरुरत होती है।
-विभाग की टीम ने जिले के ३४८ स्कूलों का निरीक्षण कर ४८ हजार ७६ बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की। जांच के दौरान ५० प्रतिशत से ज्यादा बच्चें किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त मिलें। जो कि चिंता का विषय है। बीमार बच्चों का विभाग द्वारा ईलाज किया जा रहा है। ताकि वे समय रहते ठीक हो सकें।- डा. शशि बाला, डिप्टी सिविल सर्जन, स्कूल हेल्थ प्रोग्राम, यमुनानगर।
बच्चों की संख्या व बीमारियों का ब्यौरा-
बीमारी का नाम            बच्चों की संख्या
खून की कमी                १११३५
त्वचा संबंधी रोग            ११९०
नाक-कान-गला संबंधी रोग        ४८४
टीबी                     ०२
कैंसर                    ०१
दिल की बीमारी                ०७
किडनी संबंधी बीमारी            १०
कम सूनना संबंधी बीमारी         ६५
ठीक से न बोलना संबंधी बीमारी     ७०
कम दिखाई देना             ३४५
मानसिक रूप से विकसित न होना     ४०
दांतों संबंधी बीमारी            ३२८७

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