Wednesday, March 30, 2011

-भविष्य की निगाहें कमजोर-

-सरकारी स्कूलों में १५५८ विद्यार्थियों की आंखें कमजोर-
-फंड न होने के कारण समय पर वितरित नहीं हो रहे चश्में-
-परमेश त्यागी-
जगाधरी। भविष्य का सपना देखने वाली आंखों पर कमजोरी का खतरा मंडरा रहा है। खास बात यह है कि स्कूली बच्चें इस खतरे से जूझ रहे हैं। स्कूली बच्चों की नजर कमजोर हो रही है, इस तथ्य पर स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट ने मोहर लगा दी है। जिले के ३४८ सरकारी स्कूलों में ४८ हजार ७६ बच्चों का स्वास्थ्य जांचने के बाद यह खुलासा हुआ है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि अधिकांश विद्यार्थियों को फंड की कमी की वजह से समय रहते चश्में वितरित नहीं हो पा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्कूल हेल्थ चेकअप कार्यक्रम के तहत जब सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य जांचा, तो पता चला कि १५५८ विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनकी नजर कमजोर है। इसलिए उन्हें चश्मा लगाया जाना है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि २० प्रतिशत बच्चें आंख से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त है।  अधिकारियों का कहना है कि बच्चों में आंखों से संबंधित बीमारियों का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ रहा है। यह तो महज सरकारी आंकड़ा है। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि असल में समस्या और ज्यादा गंभीर है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी का कहना है कि उनके क्लीनिक पर हर रोज २० बच्चें ऐसे आते हैं, जो आंख से संबंधित किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
फंड की वजह से नहीं वितरित हो पाए चश्में-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो जिन विद्यार्थियों की आंखें कमजोर पाई गई है, उनमें से अभी तक १४० विद्यार्थियों को ही  चश्में वितरित हो पाए हैं। जबकि विभाग की ओर से १५५८ विद्यर्थियों को चश्में वितरित किए जाने थे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समय पर फंड न मिलने की वजह से चश्में वितरित करने में दिक्कतों का सामना करना पड़  रहा है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि अगर समय रहते कमजोर आंखों वाले विद्यार्थियों को चश्में नहीं मिलें, तो उनके चश्में का नंबर बढऩा लाजमी है। ऐसे में अगर उन्हें पुराने नंबर वाले चश्में वितरित कर दिए गए, तो वे उनके किसी काम के नहीं होंगे।
घर पर ही करें अपने बच्चें की आंखों की जांच-
बच्चे की नजर सही है या नहीं, इसका पता अभिभावक घर पर भी लगा सकते हैं। अभिभावक घर की दीवार पर एक विजन चार्ट टांग सकते हैं। सप्ताह में एक दिन बच्चे को चार्ट से एक फीट दूरी पर खड़ा करके पढ़वाएं। चार्ट के छोटे अक्षरों को पढऩे में अगर बच्चे के परेशानी हो, तो उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
आंख छोटी करके न देखें टीवी-
नेत्र रोग विशेषज्ञ डाक्टर राजेश कुमार ने बताया कि टीवी देखने से बच्चों की आंखों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि अगर बच्चा आंख छोटी करके टीवी देख रहा है, तो उसकी नजर कमजोर होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि टीवी देखने, कंप्यूटर व मोबाइल पर गेम्स खेलने से नजर कमजोर नहीं होती, ऐसा करने से आंखों की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है। जिससे व्यक्ति की आंखों में दर्द, सूजन, आंसू आना व आंखों में जलन होने लगती है।
लेट कर पढऩा है खतरनाक-
१०वीं व १२वीं कक्षा के विद्यार्थियों की परीक्षाएं इन दिनों सिर पर है। ऐसे में अधिकांश विद्यार्थियों को घरों में लेट कर पढ़ते हुए देखा जा सकता है। जो कि आंखों के लिए खतरनाक है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. का कहना है कि स्कूली बच्चों की आंखें कमजोर होने का मुख्य कारण उनकी रिडिंग हैबिट है। उन्होंने बताया कि बच्चें स्कूल में बैठकर पढ़ते हैं। लेकिन वे घर पहुंचने के बाद लेट कर पढऩा शुरू कर देते हैं। जो कि आंखों के लिए नुकसान दायक है।
-जिले के सरकारी स्कूलों में १५५८ विद्यार्थियों की नजर कमजोर पाई गई है। जिन्हें विभाग की ओर से चश्में वितरित किए जाने हैं। अभी तक १४० विद्यार्थियों को ही चश्में वितरित किए गए हैं। बाकि को फंड की वजह से चश्में वितरित करने में दिक्कतें आ रही है। फंड के लिए आला अधिकारियों से मांग की गई है। ताकि समय रहते उन्हें चश्में वितरित किए जा सकें। - डा. शशि बाला, डिप्टी सिविल सर्जन, स्कूल हेल्थ, यमुनानगर।

-जिले के स्कूलों में नौनिहाल बीमार-

-कैंसर, टीबी, किडनी संबंधी बीमारियों से ग्रस्त है बच्चें-
-स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ३४८ स्कूलों में जांचा ४८ हजार ७६ बच्चों का स्वास्थ्य-
-सरकारी स्कूलों में ५० प्रतिशत से ज्यादा बच्चें बीमार-
-परमेश त्यागी-
जगाधरी। जिले के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले २४ हजार ३८९ नौनिहाल किसी न किसी  भयंकर बीमारी से ग्रस्त है। जिसमें कैंसर, किडनी, टीबी, दिल संबंधी बीमारी, डाइबटीज, खून की कमी, त्वचा संबंधी रोग इत्यादि भयंकर बीमारियां शामिल है। यह खुलासा स्वाथ्य विभाग की टीम द्वारा जिले के ३४८ स्कूलों में ४८  हजार ७६ बच्चों का स्वास्थ्य जांचने के बाद हुआ है। उपरोक्त आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है। अगर इसमें प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को शामिल कर लिया जाए, तो यह आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता है।
जिले के ३४८ सरकारी स्कूलों में नौनिहालों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर्स द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। जांच के दौरान विभाग की टीम को चौंकाने वाले तथ्य मिलेें। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चें कैंसर, किडनी, टीबी, दिल संबंधी बीमारी, खून की कमी, दांतों संबंधी बीमारियों से ग्रस्त है। जो कि ठीक नहीं है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सही प्रकार से खान-पान होने की वजह से नौनिहालों में खून की कमी हो सकती है। लेकिन बचपन में कैंसर व किडनी संबंधी बीमारियां होना चिंता का विषय है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जांच के दौरान ११ हजार १३५ बच्चों में खून की कमी पाई गई। जिसमें से २५९ बच्चें ऐसे थे,जिनमें हिमोग्लोबिन की मात्रा सात ग्राम से भी कम थी। जबकि पांच हजार ८२ में यह मात्रा सात से नौ के बीच तथा पांच हजार ६१८ में नौ से ११ के बीच थी।
बदलता खान-पान दे रहा है बीमारियों को न्यौता-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक दिन प्रतिदिन बदल रहा खान-पान बीमारियों का न्यौता दे रहा है। बच्चों के खाने में पौषक तत्वों का होना बेहद जरुरी है। लेकिन आज-कल नौनिहाल चाइनिज फूड, जंच फूड पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जिस कारण उन्हें उचित मात्रा में पौषक तत्व नहीं मिल पाते, इस वजह से उनमें बीमारियां बढ़ रही है। अगर अभिभावक समय रहते इस ओर ध्यान नहीं देंगे, तो उनकी बीमारियां भयंकर रूप अख्तियार कर सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. विजय दहिया ने बताया कि एक से तीन साल के लडक़े को हर रोज १२८७ किलो कैलोरी तथा लडक़ी को ११९३ किलो कैलोरी की जरुरत होती है। जबकि चार से छह साल लडक़े को १७५२ तथा लडक़ी को १६३०, सात से नौ साल के लडक़े को  २०७५ तथा लडक़ी को १८३३, १० से १२ साल लडक़े को २१९४ तथा लडक़ी को १९६५, १३ से १५ साल लडक़े को २४४७ तथा लडक़ी को २०५६, १६ से १८ साल के लडक़े को २६४२ तथा लडक़ी को २०६४ किलो कैलोरी की जरुरत होती है।
-विभाग की टीम ने जिले के ३४८ स्कूलों का निरीक्षण कर ४८ हजार ७६ बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की। जांच के दौरान ५० प्रतिशत से ज्यादा बच्चें किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त मिलें। जो कि चिंता का विषय है। बीमार बच्चों का विभाग द्वारा ईलाज किया जा रहा है। ताकि वे समय रहते ठीक हो सकें।- डा. शशि बाला, डिप्टी सिविल सर्जन, स्कूल हेल्थ प्रोग्राम, यमुनानगर।
बच्चों की संख्या व बीमारियों का ब्यौरा-
बीमारी का नाम            बच्चों की संख्या
खून की कमी                १११३५
त्वचा संबंधी रोग            ११९०
नाक-कान-गला संबंधी रोग        ४८४
टीबी                     ०२
कैंसर                    ०१
दिल की बीमारी                ०७
किडनी संबंधी बीमारी            १०
कम सूनना संबंधी बीमारी         ६५
ठीक से न बोलना संबंधी बीमारी     ७०
कम दिखाई देना             ३४५
मानसिक रूप से विकसित न होना     ४०
दांतों संबंधी बीमारी            ३२८७

-खून की कमी से नहीं जाएगी ट्रामा सेंटर में जान-

-ट्रामा सेंटर में स्थापित होगी ब्लड स्टोरेज यूनिट-
-ब्लड यूनिट में रखा जाएगा ५० यूनिट ब्लड-

जगाधरी। हादसे में घायल होने के उपरांत ट्रामा सेंटर में ईलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की जान अब खून की कमी की वजह से नहीं जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ट्रामा सेंटर में ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया है। जिसमें फिलहाल ५० यूनिट ब्लड स्टोरेज किया जाएगा। ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित होने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मरीजों के  अभिभावकों को अब दूसरे अस्पतालों के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। वहीं उन्हें ट्रामा सेंटर में ही आसान प्रक्रिया के बाद रक्त उपलब्ध हो जाएगा।
आए दिन यमुनानगर जिले की सडक़ों पर कहीं न कहीं हादसा होता है। जिसके उपरांत घायलों को ईलाज के लिए ट्रामा सेंटर में भरती कराया जाता है। अगर घायल मरीज को समय पर ब्लड न मिलें तो उसक जान जाने का अंदेशा बढ़ जाता है। यमुनानगर जिले में फिलहाल तीन ब्लड बैंक हैं। जिसमें से दो प्राइवेट तथा एक सरकारी अस्पताल में है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में ट्रामा सेंटर में घायल व अन्य मरीजों का ईलाज करना शुरू किया गया है। जो मरीज फिलहाल ईलाज के लिए ट्रामा सेंटर में पहुंच रहे हैं और उन्हें किसी कारणवश ब्लड की जरुरत है, तो वे मजबूरन सरकारी व प्राइवेट अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक की ओर रूख कर रहे हैं।
जल्द स्थापित होगी यूनिट-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही ट्रामा सेंटर में एक ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित की जाएगी। जिसकी ५० यूनिट ब्लड रखने का प्रावधान होगा। हाल ही में ब्लड बैंक चंडीगढ़ की एक टीम ने ट्रामा सेंटर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय सिविल अस्पताल के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ट्रामा सेंटर में एयर कंडीशन, थरमोग्राफ व ओडियो अलार्म की व्यवस्था करवाएं। अधिकारियों का कहना था कि ब्लड बैंक को ठीक प्रकार से संचालित करने के लिए उक्त चीजों का होना बेहद जरूरी है। उपरोक्त चीजों की व्यवस्था होते ही जल्द से जल्द ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित कर दी जाएगी।
अब नहीं भटकेंगे अभिभावक-
सिविल अस्पताल व ट्रामा सेंटर में ब्लड स्टोरेज यूनिट न होने की वजह से फिलहाल अभिभावकों ब्लउ के लिए ईएसआई अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों में स्थित ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। यहां पर बतां दे कि सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में स्थित तीनों ब्लड बैंक ट्रामा सेंटर से दो से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। जहां पर आने व जाने में अभिभावकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई बार घायल व्यक्ति के साथ एक ही आदमी होता है, तो ऐसे में ब्लड अरेंज करने में ज्यादा दिक्कतें आती है। लेकिन ट्रामा सेंटर में ब्लड बैंक स्थापित होने के बाद घायलों के अभिभावकों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
-मार्च महीने में ट्रामा सेंटर में ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित कर दी जाएगी। जिसमें ५० यूनिट ब्लड स्टोरेज किया जाएगा। हाल ही में ब्लड बैंक चंडीगढ़ की एक टीम ने ट्रामा सेंटर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया था। जिसमें ट्रामा सेंटर में एयर कंडीशन, थरमोग्राफ व ओडिया अलार्म लगाने के निर्देश दिए हैं। ताकि ब्लड बैंक को ठीक प्रकार से संचालित किया जा सकें।- डा. विजय दहिया, इंचार्ज, ट्रामा सेंटर।

-डीएवी में सत्र समापन पर हुआ २१ कुंडीय हवन यज्ञ-

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज में सत्र समाप्ति के अवसर पर २१ कुंडीय हवन यज्ञ के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।चंडीगढ़ से आए पंडित यजब्रह्मा दाऊ दयाल जी शास्त्री ने मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ में पूर्णाहुति डलवाई और छात्राओं के सुखद व उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज प्र्रिंपिल डा. सुषमा आर्य ने की।

२१ कुंडिय हवन यज्ञ शुरू करने से पूर्व पंडित दाऊ दयाल जी शास्त्री जी ने सभी छात्राओं से आह्वान किया कि वे  परमपिता परमेश्वर का ध्यान करें। जो कि सर्वत्र विद्यमान है और सर्वशक्तिमान है। योगीजन उसका ध्यान करते हैं और विद्वान उसी की महिमा का गान करते हैं। वो ही सबका पालन हार है। ओम नाम का उच्चारण करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें सदैव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन सुगंधित हो जाता है और हमें आत्मिक बल मिलता है। उन्होंने छात्राओ से आह्वान किया कि वे ईश्वर की स्तुति का मिलकर पाठ करें। उन्होंने कहा कि योग व भक्ति के जरिए परमात्मा को पाया जा सकता है। उन्होंने प्रभू से आह्वान किया कि हे प्रभू मेरी वाणी में माधुर्य भर दो, इतना ही नहीं मेरा वाणी पर नियंत्रण रहे। ताकि जीवन में सौहार्द की भावना भरी रहे।
उन्होंने बताया कि जीवन भी एक यज्ञशाला है। इसे देवताओं की भूमि भी कहा जाता है। इसी के माध्यम से हम पुण्य कमा सकते हैं। जिसके जरिए हम जीवन में ऊंचा उठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर को पाकर प्राणियों ने बुलंदियों को  छूआ है। मनुष्य ने ज्ञान विज्ञान की आहूति दी है। उन्होंने कहा जब मनुष्य अच्छा खाएगा और अच्छा सोचेगा, तभी हमार अत:करण अच्छा होगा, अन्यथा नहीं। उन्होंने कहा कि संस्कृति के माध्यम से मन को निर्मल बनाया जा सकता है। जिसके बाद मन शिव संकल्पों वाला बन जाता है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे जीवन में पुरुषार्थ करें और बुलंदियों को छुए। जो विद्यार्थी जीवन में मेहनत करता है, वह ताउम्र सुख भोगता है और जो मेहनत नहीं करता उसे दुखों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे अपने माता-पिता व गुरुजनों का आदर सत्कार करें और नित्य प्रतिदिन उन्हें नमस्कार करें। इससे उन्हें भगवान का भरपुर आशीर्वाद प्राप्त होगा। तभी तो कहा गया है पितृ देवो भव: आचार्य देवो भव:। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र का जाप करने से बुद्धि का विकास होता है। इससे जीवन प्रकाशमय होता है। इस मंत्र का जाप करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।
कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कहा कि डीएवी गल्र्स कालेज महापुरुषों के दिखाए हुए रास्ते पर अग्रसर है। कालेज में समय-समय पर हवन यज्ञ का आयोजन किया जाता है। ताकि युवा पीढ़ी में नैतिक गुणों का समावेश हो सकें। छात्राएं सफलता की बुलंदियों को छुएं। २१ कुंडीय हवन यज्ञ में पूर्णाहुति के उपरांत कालेज परिसर में लंगर का आयोजन किय गया। जिसमें को सारे स्टाफ व छात्राओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

-लवप्रीत बनी मिस डीएवी-

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज में शुक्रवार को जूनियर्स स्टूडेंट्स ने अपनी सीनियर्स को विदाई पार्टी दी। इस दौरान छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर समां बांध दिया। पार्टी के दौरान छात्राओं ने जहां पंजाबी गीतों पर गिद्दा प्रस्तुत किया, तो वहीं वेस्टर्न पर डांस प्रस्तुत कर खूब तालियां बटौरी। मिस डीएवी का चयन करने के लिए २५ से ज्यादा छात्राओं के बीच अनेक राउंड हुए। जिसमें सीनियर्स स्टूडेंट्स ने भाग लिया। लवप्रीत को मिस डीएवी, स्वाति को मिस टैलेंटिड, शायना को मिस ब्यूटीफुल, गितिका को मिस पर्ल व पल्लवी को मिस ईव चुना गया। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया।
कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन छात्राओं के बीच सौहार्द की भावना को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के दौरान जहां सीनियर्स को अपनी जूनियर्स से बिछुडऩे का गम होता है, वहीं उनके मन में खुशी होती है कि वे जीवन में आगे बढ़ रही है। उन्होंने सीनियर्स से आह्वान किया कि वे खूब मेहनत व लगन के साथ अपनी पढ़ाई करें और अच्छे नंबरों से पास हो। कालेज प्रिंसिपल व अन्य स्टाफ सदस्यों ने सीनियर्स को शुभ कामनाएं दी। ताकि वे जीवन में सफल हो सकें। कार्यक्रम के दौरान छात्राओं ने फिल्मी गीतों पर जमकर डांस किया। वहीं जूनियर्स स्टूडेंट्स ने अपनी सीनियर्स को उनकी पर्सनैलिटी के मुताबिक टाइटल भी दिए। इसके अलावा उन्हें गिफ्ट भी दिए गए। डीएवी कालेज की मिस का चुनाव करने के लिए अनेक  राउंड किए गए। जिसमें छात्राओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। बीच-बीच में छात्राओं ने अपनी परफोरमेंस दी। सीनियर्स ने स्टेज पर कैटवाक कर खूब तालियां बटौरी। निर्णायक मंडल मेें मॉस कम्यूनिकेशन विभाग की नेहा सहगल, अंग्रेजी विभाग की शालू, हिंदी विभाग से डा. विश्वप्रभा व कॉमर्स विभाग से मीनू गुलाटी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के दौरान न्यूज पेपर राउंड में पल्लवी ने पहला स्थान प्राप्त किया। जबकि बेस्ट परफोर्मर का खिताब शगुन व अलका ने जीता।

-मारिया के मंचन ने खड़े कर दिए रोंगटे-


 यमुनानगर। भौतिकवादी युग में रिश्तों के मायने किस प्रकार से बदल रहे हैं, इसका प्रस्तुतिकरण मारिया नाटक के  मंचन के माध्यम से दिखाया गया। जिसमें एक बेटी और उसकी मां की कहानी को इतने मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया कि सभागार में बैठे लोगों के  रोंगटे खड़े हो गए। आज के दौर में प्यार शब्द स्वरुप किस कद्र बदल रहा है और इंसान अपने वैहशीपन के लिए किस प्यार शब्द का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। नाटक के माध्यम से एक ऐसे कड़वे सच को उजागर किया गया। डीएवी गल्र्स कालेज में नाटक उत्सव के दौरान जकिया जुबैरी की कहानी मारिया का प्रस्तुतिकरण निर्देशक इंद्र राज इंदू के नेतृत्व में हुआ।
नाटक की शुरूआत एक अजीब से माहौल से शुरू होती है। जिसमें एक मां अपनी बेटी को लोगों से छुपते छुपाते क्लीनिक में छोड़ कर आती है और खुद अपने आप को पेड़ों की ओट में छुपा लेती है। कहीं कोई ये न जाए पाए कि मां ने उसे वहां क्यों छोड़ रखा है। एक ऐसी हकीकत का पर्दाफाश होने के डर से वह रह-रहकर कांप उठती है। फिर उसे अपने अतीत की कुछ परछाइयां दिखाई देने लगती है। बरसों साथ गुजार दिए सिर्फ इस अहसास के साथ कि कल क्या होगा और आज दरख्तों का नंगापन बहार गुजर जाने की कहानी कहता है। आज वो सचमुच बिलकुल अकेली हो गई है। जब उसे अपने प्यार के सहारे की जरुरत होती है, तो वो भी उससे बहुत दूर चला गया। वो उसकी आगोश में समां जाना चाहती है। किंतु वो न जाने किस भीड़ में खो गया है। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई एक ऐसे मोड़ पर आकर ऐसे सच को उजागर करती है, जिसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है। जब मां अपनी बेटी से पुछती है  कि तुमने इतनी बड़ी कुर्बानी किसके लिए दी बेटी। और बेटी के मुंह से निकला हुआ संवाद कि मां जिसके पास तुम जाती थी। यह संवाद सुनकर दर्शकों को एक ऐसे सच का सामना करना पड़ता है कि शर्म से सिर झुक जाता है।
नाटक के निर्देशक इंद्रराज इंदू ने बताया कि मारिया नाटक आज के समय में बहुत ज्यादा प्रासंगिक है। हम रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे सामने हैं, जहां पर एक बाप अपनी बेटी को वैहशीपन का शिकार बनाता है। आए दिन समाचारों पत्रों व न्यूज चैनलों पर इस प्रकार की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटनाएं हम देखते व सुनते है। समाज की एक कड़वी सच्चाई को मंचन के माध्यम से लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। ताकि समाज में इस प्रकार की बुराइयों को जड़ से खतम किया जा सकें।  कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य कहा कि मारिया की कहानी ह्रदय विदार है। जो कि समाज को कड़वी सच्चाई से रू-ब-रू करवाती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कहानी का मंचन करने में कालेज के कलाकारों ने जो भूमिका अदा की है, वह प्रशसंनीय है नाटक के दौरान कलाकारों ने कभी भी संवादों को टूटने नहीं दिया। जिसने नाटक की सफलता को चार चांद लगा दिए।

]-अब हम भी तकनीक से होंगी रू-ब-रू-

-स्लम एरिया की ३० महिलाएं डीएवी गल्र्स कालेज में ले रही है कंप्यूटर की नि:शुल्क शिक्षा-


यमुनानगर। जब उंगलियां कंप्यूटर के की-बोर्ड पर चलती है, तो ऐसा लगता है मानो पूरी दुनिया उनके इर्द-गिर्द सिमट गई है। घरेलु कामकाज के चक्कर में पूरा दिन कब बीत जाता था, इसका अहसास भी नहीं हो पाता था। लेकिन अब कंप्यूटर सीख कर ऐसा लग रहा है, कि हम भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलकर चल रही है। यह कहना है कि स्लम एरिया में रहने वाली महिलाओं का। जो कि इन दिनों डीएवी गल्र्स कालेज में विमैन स्टडी सेंटर व कंप्यूटर विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित फ्री कंप्यूटर कोर्स कर रही है। तीन महीने तक चलने वाले इस कोर्स के दौरान महिलाओं को एमएस ऑफिस के अलावा कंप्यूटर की अन्य जानकारी दी जाएगी। ताकि वे इसके आधार पर नौकरी प्राप्त कर परिजनों की आर्थिक मदद कर सकें। 
हमीदा की रहने वाली ज्योति व मंजु ने बताया कि वे दिन भर घरेलु काम करती है। शाम को कंप्यूटर सीखने के लिए डीएवी गल्र्स कालेज पहुंच जाती है। जम्मू कालोनी निवासी लक्ष्मी व सोनिया का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे एक दिन कंप्यूटर की शिक्षा ग्रहण करेंगी। कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि वे अपने बच्चों को इसके बारे में बता सकें और जरुरत पडऩे पर इसके बेस पर नौकरी प्राप्त करके परिवार को आर्थिक मदद दें सकें। महावीर कालोनी निवासी नीरू व रेशमा का कहना है कि आज के युग में हर किसी को तकनीकी ज्ञान की जानकारी होना बेहद जरुरी है। भले ही हम किसी कारणवश स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन कालेज में कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण कर उसकी कमी को दूर कर रही हैं। गंगा कालोनी निवासी पदामवती व प्रोफेसर कालोनी निवासी शालिनी का कहना है कि कालेज में नि:शुल्क कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण कर उन्हें बढिय़ा लग रहा है।
कंप्यूटर विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय भारद्वाज ने बताया कि तीन महीने तक चलने वाले कंप्यूटर कोर्स के दौरान महिलाओं को सबसे पहले बेसिक कंप्यूटर की जानकारी दी जाएगी। इसके बाद उन्हेें  एमएस वर्ड, एक्सेल, पावर प्वाइंट, इंटरनेट का यूज व ऑफिस विंडो की विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें हिंदी व इंग्लिश टाइपिंग के बारे में भी बताया जाएगा। विमैन स्टडी सेंटर की इंचार्ज अर्चना रावत ने बताया कि कालेज में यह दूसरा कंप्यूटर  कोर्स शुरू किया गया है। इसके पहले ग्रामीण महिलाओं को कंप्यूटर की जानकारी दी गई है। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य का कहना है कि ग्रामीण व स्लम एरिया की महिलाओं का कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य उन्हें तकनीकी ज्ञान प्रदान करना है। ताकि वे भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।

-कोलॉज मेकिंग में अमनप्रीत व किरणदीप ने मारी बाजी-

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज में मंगलवार को इंटरनेशनल ईयर ऑफ कैमेस्ट्री के उपलक्ष्य में कोलॉज मेकिंग कंपीटिशन का आयोजन किया गया। जिसमें बीएससी प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष की छात्राओं ने भाग लिया। विजेता प्रतिभागियों को कैमेस्ट्री विभाग की अध्यक्षा डा. रवि बाठला ने पुरस्कृत किया।
डा. बाठला ने बताया कि छात्राओं ने कोलॉज मेकिंग के दौरान कैमेस्ट्री में इस्तेमाल होने वाली चीजों का प्रयोग किया। उन्होंने बताया कि हम डेली यूज में रोजाना रसायनों का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें टूथेपेस्ट, साबून, कॉस्मेटिक्स, फूड प्रोडक्टस इत्यादि शामिल है। उपरोक्त सभी चीजों को बनाने के लिए विभिन्न  प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि फूड प्रोडक्टस को खराब होने से बचाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। डा. बाठला के मुताबिक मोमबत्ती बनाने के लिए हाइड्रो कार्बन, प्लास्टिक व टायर बनाने के लिए पोलीमर का प्रयोग किया जाता है। जबकि पेट्रोलियम के शुद्धिकरण से हमें पेट्रोल और एलपीजी गैस मिलती है। इस प्रक्रिया में भी रसायन का प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने बताया कि छात्राओं ने कैमिस्ट्री इन द सर्विस ऑफ मैन काइंड विषय पर कोलॉज मेकिंग की। जिसमें उन्होंने दिखाया कि दवाइयों व उर्वरक में रसायन का प्रयोग किस प्रकार से होता है। इसके अलावा उन्होंने घर में प्रयोग होने वाली माचिस, क्लीनर्स, घड़ी में पडऩे वाले सैल, कास्मेटिक्स, मास्किटो क्वाइल्स, बलिचिंग पाउडर, बेकिंग पाउडर, मीठा सोडा, सीट्रिक एसिड इत्यादि के प्रयोग की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिकल चीजों में भी पोलीमर का प्रयोग किया जाता है। डा. उर्मिल राणा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में छात्राओं को अपनी प्रतिभा को दिखाने का अवसर मिलता है। कोलॉज मेकिंग के दौरान छात्राओं ने डेली यूज में होने वाली चीजों का बारिकी से अध्यन किया। जिससे उनका ज्ञान वृद्र्धन हुआ। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
निर्णायक मंडल में डा. रवि बाठला, डा. उर्मिल राणा, डा. नीना बजाज व डा. आभा शामिल रहीं। कार्यक्रम को सफल बनाने में एरिका सुनेजा व सोनिया कांबोज ने सहयोग दिया।
इस प्रकार रहा परिणाम-
बीएससी नॉन मेडिकल प्रथम वर्ष की छात्रा अमनप्रीत कौर व किरनदीप कौर ने संयुक्त रुप से पहला, अंजली व कोमन ने दूसरा तथा जसनीत व नैंसी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।


-छात्राओं ने चुटकियों में हल किए आर्टिकल्स-

यमुनानगर। गणित के मुश्किल आर्टिकल देखकर बड़े-बड़े के सिर चकरा जाते हैं। कोई सिर खुजलाने लगता है, तो किसी के मात्थे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है। लेकिन सोमवार को गणित के आर्टिकल के उत्तर खोजते समय ऐसा नहीं हुआ। डीएवी गल्र्स कालेज के सेमीनार रूम में एमएससी मैथ की छात्राओं ने बड़े ही सहज तरीके से उनके हल निकाले। इस दौरान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गणित विभाग के चेयरमैन डा. रजनीश कुमार के आर्टिकल के हल निकालने में छात्राओं मदद की और उन्होंने मैकेनिक्स ऑफ सोलिड विषय के प्लेन इलास्टिक वेवज़ टोपिक पर विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज के गणित विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अंजना अरोड़ा ने की।
प्रोफेसर रजनीश ने छात्राओं को बताया कि छात्राएं किस विषय की तैयारी किस किताब में से करें, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी विषयों के प्रश्नों के हल एक किताब में ठीक प्रकार से नहीं मिल सकते,इसके लिए उन्हें अलग-अलग किताबों की सहायता लेनी पड़ेगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस विषय की तैयारी किस प्रकार से की जाती है। पेपर में किस प्रकार के प्रश्न आते हैं और उन्हें किस प्रकार से हल करना है, इसके बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि छात्राएं कम समय में इस विषय के अधिक से अधिक प्रश्न हल कर सकती हैं, बशर्ते उन्होंने इस विषय की तैयारी ठीक प्रकार से की हो। प्रोफेसर रजनीश ने प्लेन इलास्टिक वेवज़ के अंतर्गत आने वाली विभिन्न प्रकार की वेवज़ जैसे रॉटेशनल वेवज़, ईर रोटेशनल वेवज़, लव वेवज़ इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विभाग की अध्यक्ष अंजना अरोड़ा ने कहा कि इस प्रकार के लेक्चर्स से छात्राओं को फायदा पहुंचता है। इसके अलावा उन्हें ऐसी चीजों के बारे में जानने का अवसर मिलता है, तो सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं आती, बल्कि एक्सपर्ट के द्वारा बताए जाने पर पता लगती हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भी इस प्रकार के एक्सटेंशन लेक्चर्स का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में वंदना पाहूजा,आरती, अन्नू, जय कुमार ने सहयोग दिया।

लोकतांत्रिक मूल्यों में थी नेहरू की आस्था: रविंद्रा

यमुनानगर। पंडित जवाहर लाल नेहरू की लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था थी। आधुनिक भारत के निर्माण में उनका अतुल्नीय योगदान है। उक्त शब्द चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पूर्व उप कुलपति पदमश्री डा. रविंद्रा कुमार ने डीएवी गल्र्स कालेज के नेहरू स्टडी सेंटर द्वारा नेहरू और समाजवाद विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने की।
डा. रविंद्रा कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण में नेहरू के योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता। देश के पुन:निर्माण में पंडित नेहरू जी का योगदना समर्णिय है। किसी भी महान व्यक्ति के विचारों को पूर्वाग्रह से देखा जाता है। लेकिन हमें परिस्थितियों के अनुसार ही उनके विचारों का अपनाना चाहिए। देश के विकास के लिए उन्होंने टीम के रुप में कार्य किया। आज लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। जो कि गलत है।
गांधी मैमोरियल म्यूजियम एंड गांधी लाइब्रेरी नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर अनिल मिश्रा ने कहा कि हम विड़ंबनाओं के देश में रह रहे हैं और नेहरू जी विड़ंबनाओं को खतम करने की कौशिश की थी। नेहरू के सामने आजादी के दौरान कितनी चुनौतियां थी, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अगर पाकिस्तान नहीं बनता, तो आज हिंदूस्तान के अनेक टूकड़े हो गए होते। सरदार पटेल के एक पत्र से खुलासा हुआ है कि देश के विभाजन में पटेल, नेहरू व जिन्ना शामिल थे। नेहरू का उद्देश्य भारत को लोकतांत्रिक बनाना था। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, आईआईटी,  बाखड़ा डैम, इत्यादि सभी नेहरू जी की देन है। नेहरू ने देश में विज्ञान व कला को बढ़ाया दिया। लेकिन आज हम आजाद भारत के गुलाम नागरिक है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय राजनीति शास्त्र विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर आरएस यादव ने कहा कि नेहरू के विचारों में पूंजीवादी व माक्र्सवादियों का मिश्रण था। नेहरू सामाजिक बदलाव तो चाहते थे, लेकिन वे क्रांति के खिलाफ थे। नेहरू का समाजवाद अंतर्राष्ट्रीय स्थिति से जुड़ा हुआ है। नेहरू की सोच थी कि आखिरी आदमी तक योजना का लाभ पहुंचना चाहिए। तभी समाजवाद की सार्थकता सिद्ध होगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हिमांशु राय ने बताया कि वर्ष १९६२ में जब लोकसभा सत्र के दौरान अटल बिहारी बाजपेयी ने नेहरू जी की आलोचना की थी, तो तब नेहरू ने कहा था कि वह भविष्य का प्रधानमंत्री है। नेहरू जी की दूरदृष्टि थी। उन्होंने कृषि के विकास के लिए कारगर कदम उठाए। नरेगा अब लागू हुआ है, जिसकी बात उन्होंने वर्षों पहले की थी। राइट टू फूड एक्ट, रोजगार का अधिकार इन सबकी की शुरूआत नेहरू जी ने बहुत पहले कर दी थी।
एचआईआईआरडी नीलोखेड़ी के डायरेक्टर प्रोफेसर रणबीर सिंह ने कहा कि नेहरू जी द्वारा बनाए गए पब्लिक सेक्टर का लाभ पूंजीपतियों को मिला। जिस कारण उस समय अमीरों व गरीबों के बीच खाई बढ़ गई। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में उन्होंने भूमि सुधार पर ध्यान दिया, लेकिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वहज से सुधार नहीं हो पाया। नेहरू ने साम्यवादियों व समाजवादियों को साथ नहीं जोड़ा। समाजवादी नेहरू को समाजवादी नहीं मानते थे और पूंजीवादी उन्हें समाजवादी कहते थे। आज के बदलते युग में नेहरू जी के विचार उतने ही प्रासांगिक है, जितने उस समय थे।
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के सेवानिवृत प्रोफेसर पीएस वर्मा ने कहा कि जमींदारी प्रथा को खतम करने में नेहरू जी का योगदान था। वे मानते थे कि बड़े उद्योगों पर सरकार का कब्जा हो, ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकें। पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मनीष शर्मा ने इंटरनेशनल टैरिज़म व इंवायरमेंट क्लाइमेट्स चेंज पर विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा नेहरू नवभारत का निर्माण करना चाहते थे। पंजाब यूनिवर्सिटी की प्राध्यापिका कनुप्रिया ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नेहरू की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश का कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए। नेहरू स्टडी सेंटर के इंचार्ज प्रोफेसर मलकीत सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। डा. आर्य ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से छात्राओं के ज्ञान में वृद्धि होती है।

Monday, March 28, 2011

थियेटर फेस्टिवल का आयोजन : गवाह नाटक का मंचन

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज में सोमवार को थियेटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। जिसमें अंग्रेजी लेखिका अगाथा क्रिस्टी की रचना पर आधारित सुप्रसिद्ध कथाकार संजय सहाय द्वारा निर्देशित गवाह नाटक का मंचन हुआ। नाटक को देखकर दर्शक इतने अभिभुत हुए कि कालेज का सभागार आधे घंटे तक तालियों से गूंजता रहा। कलाकारों द्वारा की गई अदाकारी की सभी ने प्रशंसा की। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने नाटक के निर्देशकों, कलाकारों व दर्शकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान मुकंद लाल शिक्षण संस्थाओं के महासचिव डा. रमेश कुमार मुख्य अतिथि रहे। मौके पर सुप्रसिद्ध पत्रकार अजीत राय भी उपस्थित रहे।

मर्डर मिस्ट्री पर आधारित गवाह नाटक के दौरान दिखाया गया कि अदालत में केस को किस प्रकार से तरोड़ा मोड़ा जाता है। हत्यारे के खिलाफ ढेर सारे सबूत व गवाह होने के बावजुद किस प्रकार से ज्यूरी सिस्टम को दिगभ्रमित किया जा सकता है। नाटक का क्लाइमेक्स देखकर सभागार में बैठे दर्शक तब अचंभित रह जाते हैं। जब वास्तव में हत्या करने वाले लियोनार्ड वोल को अदालत से बाइज्जत बरी कर दिया जाता है। इस सारी प्रक्रिया में शहर का नामी वकील भी धोखा खा जाता है।
नाटक में लियोनार्ड वोल पर एक अधेड़ उम्र की औरत एमली फे्रंच की हत्या का आरोप है। उसके खिलाफ ढेर सारे सबूत व गवाह है। वोल चाहता है कि वकील सर विलफ्रीड उसकी पत्नी रोमेन को गवाही के लिए बुलाए। लेकिन वह ऐसा नहीं करता। फिर अचानक रोमेन सरकारी गवाह बनकर अपने पति वोल के खिलाफ गवाही देती है और कहती है कि वह उसकी पत्नी नहीं है और वोल ने ही एमली की हत्या की है। जिस कारण वोल की फांसी ज्यादा पुख्ता हो जाती है। इसी बीच वोल के वकील के पास कुछ चि_ियां आती है। जिसमें लिखा होता है कि रोमेन अपने प्रेमी के साथ मिलकर वोल को फांसी पर लटकवाना चाहती है। ताकि वह उससे आजाद हो सके। इसके बाद कोर्ट में वोल के प्रति सहानुभूति पैदा हो जाती है। जिस कारण वह बरी हो जाता है। बाद में पता चलता है कि वोल व रोमेन दोनों ने मिलकर १५ करोड़ रुपयों के लिए एमली फे्रंच की हत्या की थी और सारा ड्रामा खुद ही रचा था। 
नाटक के दौरान जटिल संवादों ने कलाकारों ने इस प्रकार से प्रस्तुत किया कि वह मंच पर जीवंत हो उठे। नाटक में बताया गया कि वहीं सच नहीं होता, जो दिखता है। आज के समय में अगर इस प्रकार की घटना घटती तो मीडिया उसपर कितना उन्माद पैदा करता, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। ज्यूरी सिस्टम की इन खामियों से सबक ले, मीडिया को कोर्ट से पहले फैसले नहीं सुनाने चाहिए और तथ्यों पर आधारित कोर्ट के फैसले तक संयम बरतना चाहिए।
नाटक की समाप्ति पर निर्देशक संजय सहाय ने कहा कि इस प्रकार के नाटक हमें समाज में हो रही घटनाओं से जोड़ते हैं। उन्होंने सभागार में बैठे सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
डा. रमेश ने कहा कि नाटक में कलाकारों द्वारा प्रस्तुत अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। कलाकारों ने हर घटना को इतनी बारिकी से प्रस्तुत किया कि घटना जीवंत हो उठी। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन का उत्सव कालाकारों की प्रतिभा को निखाराना है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस प्रकार और भी आयोजन किए जाएंगे।


Saturday, March 26, 2011

वालंटियर्स जांचेंगे मलेरिया मच्छर की ब्रिडिंग

-प्रदेश के सात जिले में रखे जाएंगे पांच हजार से ज्यादा वालंटियर्स-
-यमुनानगर जिले में नियुक्त होंगे ६७० वालंटियर्स-
-ग्रामीण क्षेत्र में २०० व शहरी क्षेत्र में ५०० घरों की जांच करेगा एक वालंटियर-

जगाधरी। आने वाले दिनों में अगर कोई व्यक्ति आपके घर पर आकर कूलर, गमलों व अन्य जगह पर रखे पानी में मलेरिया मच्छर की ब्रिडिंग (अड्डे देने वाली जगह) चेक करें, तो चौकिए मत। मलेरिया की रोकथाम के लिए डायरेक्टर हेल्थ सर्विसिज मलेरिया ने प्रदेश के सात जिलों में पांच हजार से ज्यादा वालंटिसर्य को नियुक्त करने का निर्णय लिया है। यमुनानगर जिले को भी इसमें शामिल किया गया है। मच्छर की ब्रिडिंग की जांच करने से पहले स्वास्थ्य विभाग बकायदा इन वालंटियर्स क टे्रनिंग देगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा मलेरिया के केसिज़ यमुनानगर, करनाल, हिसार, सिरसा, गुडग़ांव, फरीदाबाद व फतेहाबाद जिले में सामने आते हैं। इन जिलों में मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए विभाग ने इस बार पहले से ही रणनीति बनाई है। विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक उक्त जिलों में गांव व वार्ड स्तर पर वालंटियर्स रखे जाएंगे। जो कि घर-घर जाकर मलेरिया मच्छर की ब्रिडिंग जांचेंगे। हाल ही में डायरेक्टर हेल्थ सर्विसिज मलेरिया ने उक्त सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र भेजकर वालंटियर्स रखने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद जिला स्तर पर वालंटियर्स रखने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
पीएचसी व सीएचसी स्तर पर दी जाएगी टे्रनिंग-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मलेरिया मच्छर की ब्रिडिंग चेक करने के लिए जिन वालंटियर्स को नियुक्त किया जाएगा, उन्हें पीएचसी व सीएचसी स्तर पर बकायदा टे्रनिंग दी जाएगी। टे्रनिंग के दौरान उन्हें मलेरिया मच्छर व लारवे की पहचान के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। लारवे को किस प्रकार से नष्ट करना है और उसे आगे फैले कैसे रोकना है, इस बारे में भी उन्हें बताया जाएगा। ताकि वे घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर सकें।
गांव में २०० व शहर में ५०० घर जांचेगा एक वालंटियर-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक वालंटियर एक सप्ताह के दौरान गांव में २०० व शहर में ५०० घरों की जांच करेगा। वह अपने द्वारा जांचेगे गए घरों पर अगले चार सप्ताह तक नजर रखेंगे। घर में जांच के दौरान वह कूलर, गमलों व छत पर पड़े टायरों में पानी को जांचेगा। जिसकी रिपोर्ट वह विभाग के अधिकारियों को देगा। अगर कहीं पर मलेरिया की ब्रिडिंग मिलेगी, तो तुरंत विभाग के अधिकारी हरकत में आ जाएंगे और उक्त जगह पर जाकर दवा का छिडक़ाव करेंगे और दवाइयां वितरित करेंगे।
झूठी रिपोर्ट दी तो नपेंगे वालंटियर्स-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अगर किसी वालंटियर्स ने झूठी रिपोर्ट दी तो वह नपेंगे। विभाग के अधिकारियों की मानें तो वालंटियर्स द्वारा जांचें गए घरों की विभाग द्वारा नियुक्ति अधिकारी द्वारा रेंडमली जांच की जाएगी। जांच के दौरान अगर कोई घर ठीक नहीं  पाया गया या फिर वालंटियर्स द्वारा दी गई रिपोर्ट गलत मिली, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 
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डायरेक्टर हेल्थ सर्विसिज विभाग की ओर से जारी पत्र उन्हें मिल गया है। गांव व वार्ड स्तर पर वालंटियर्स रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही उनकी टे्रनिंग शुरू कर दी जाएगी। प्रदेश के सात जिलों में वालंटियर्स रखे जाएंगे। यमुनानगर में ६७० वालंटियर्स रखने का प्रावधान है। जो कि घर-घर जाकर मलेरिया मच्छर की ब्रिडिंग की जांच करेंगे।- डा. विजय मोहन अत्रेजा, डिप्टी सिविल सर्जन एवं जिला मलेरिया अधिकारी, यमुनानगर। 
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