Wednesday, March 30, 2011

-मारिया के मंचन ने खड़े कर दिए रोंगटे-


 यमुनानगर। भौतिकवादी युग में रिश्तों के मायने किस प्रकार से बदल रहे हैं, इसका प्रस्तुतिकरण मारिया नाटक के  मंचन के माध्यम से दिखाया गया। जिसमें एक बेटी और उसकी मां की कहानी को इतने मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया कि सभागार में बैठे लोगों के  रोंगटे खड़े हो गए। आज के दौर में प्यार शब्द स्वरुप किस कद्र बदल रहा है और इंसान अपने वैहशीपन के लिए किस प्यार शब्द का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। नाटक के माध्यम से एक ऐसे कड़वे सच को उजागर किया गया। डीएवी गल्र्स कालेज में नाटक उत्सव के दौरान जकिया जुबैरी की कहानी मारिया का प्रस्तुतिकरण निर्देशक इंद्र राज इंदू के नेतृत्व में हुआ।
नाटक की शुरूआत एक अजीब से माहौल से शुरू होती है। जिसमें एक मां अपनी बेटी को लोगों से छुपते छुपाते क्लीनिक में छोड़ कर आती है और खुद अपने आप को पेड़ों की ओट में छुपा लेती है। कहीं कोई ये न जाए पाए कि मां ने उसे वहां क्यों छोड़ रखा है। एक ऐसी हकीकत का पर्दाफाश होने के डर से वह रह-रहकर कांप उठती है। फिर उसे अपने अतीत की कुछ परछाइयां दिखाई देने लगती है। बरसों साथ गुजार दिए सिर्फ इस अहसास के साथ कि कल क्या होगा और आज दरख्तों का नंगापन बहार गुजर जाने की कहानी कहता है। आज वो सचमुच बिलकुल अकेली हो गई है। जब उसे अपने प्यार के सहारे की जरुरत होती है, तो वो भी उससे बहुत दूर चला गया। वो उसकी आगोश में समां जाना चाहती है। किंतु वो न जाने किस भीड़ में खो गया है। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई एक ऐसे मोड़ पर आकर ऐसे सच को उजागर करती है, जिसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है। जब मां अपनी बेटी से पुछती है  कि तुमने इतनी बड़ी कुर्बानी किसके लिए दी बेटी। और बेटी के मुंह से निकला हुआ संवाद कि मां जिसके पास तुम जाती थी। यह संवाद सुनकर दर्शकों को एक ऐसे सच का सामना करना पड़ता है कि शर्म से सिर झुक जाता है।
नाटक के निर्देशक इंद्रराज इंदू ने बताया कि मारिया नाटक आज के समय में बहुत ज्यादा प्रासंगिक है। हम रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे सामने हैं, जहां पर एक बाप अपनी बेटी को वैहशीपन का शिकार बनाता है। आए दिन समाचारों पत्रों व न्यूज चैनलों पर इस प्रकार की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटनाएं हम देखते व सुनते है। समाज की एक कड़वी सच्चाई को मंचन के माध्यम से लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। ताकि समाज में इस प्रकार की बुराइयों को जड़ से खतम किया जा सकें।  कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य कहा कि मारिया की कहानी ह्रदय विदार है। जो कि समाज को कड़वी सच्चाई से रू-ब-रू करवाती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कहानी का मंचन करने में कालेज के कलाकारों ने जो भूमिका अदा की है, वह प्रशसंनीय है नाटक के दौरान कलाकारों ने कभी भी संवादों को टूटने नहीं दिया। जिसने नाटक की सफलता को चार चांद लगा दिए।

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